IJC का PM मोदी ने किया उद्घाटन, कहा- हर भारतीय की न्यायपालिका पर आस्था
नई दिल्ली। PM नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विकास और पारिस्थितिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने के लिए पर्यावरण न्यायशास्त्र को पुनर्परिभाषित करने में भारतीय न्यायपालिका की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने उच्चतम न्यायालय में न्यायपालिका और बदलती दुनिया विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय न्यायपालिका सम्मेलन 2020 के उद्घाटन समारोह में लैंगिक न्याय का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया का कोई भी देश या समाज इसके बिना समग्र विकास को प्राप्त करने का दावा नहीं कर सकता है। उन्होंने समलैंगिकों के कानून, तीन तलाक और दिव्यांगों के अधिकारों का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने सैन्य सेवाओं में महिलाओं को अधिकार देने और महिलाओं को 26 सप्ताह तक मातृत्व अवकाश प्रदान करने के लिए भी कदम उठाए हैं।
I would like to compliment the Supreme Court of India for organising an international conference to discuss the important subject of ‘Judiciary and the Changing World.’ In my remarks highlighted the greatness of India’s Constitution and the respect our Courts have among people. pic.twitter.com/D50Hu5gVIK
— Narendra Modi (@narendramodi) February 22, 2020
उन्होंने कहा, इसके अलावा, बदलते समय के साथ डेटा संरक्षण, साइबर-अपराध न्यायपालिका के सामने नयी चुनौतियां पेश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भारतीय न्यायालयों द्वारा हाल के न्यायिक फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि 1.3 अरब भारतीयों ने उन फैसलों के परिणामों के बारे में कई आशंकाएं व्यक्त किए जाने के बावजूद उन्हें खुले दिल से स्वीकार किया है। इस मौके पर भारत के प्रधान न्यायाधीश शरद एस बोबडे ने कहा कि भारत विभिन्न संस्कृतियों का समागम है, जिसमें मुगलों, डच, पुर्तगालियों और अंग्रेजों की संस्कृतियां समाहित हैं।
नई दिल्ली में पहले अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री @narendramodi का उद्घाटन भाषण
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— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) February 22, 2020
श्री बोबडे ने कहा, संविधान ने एक मजबूत तथा स्वतंत्र न्यायपालिका का सृजन किया है और हमने इस मूलभूत विशेषता को अक्षुण्ण रखने के लिये प्रयासरत हैं। इससे पहले केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उच्चतम न्यायालय के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवादियों और भ्रष्ट लोगों को निजता का कोई अधिकार नहीं है और ऐसे लोगों को व्यवस्था का दुरुपयोग नहीं करने देना चाहिये। प्रसाद ने कहा कि शासन की जिम्मेदारी निर्वाचित प्रतिनिधियों और निर्णय सुनाने का काम न्यायाधीशों पर पर छोड़ देना चाहिये। कानून मंत्री ने उच्चतम न्यायालय में न्यायपालिका और बदलती दुनिया विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 में कहा कि लोकलुभावनवाद को कानून के तय सिद्धांतों से ऊपर नहीं होना चाहिये।