कोरोना की तीसरी लहर से बच्चे नहीं होंगे सबसे अधिक प्रभावित, अभी ऐसे कोई संकेत नहीं : रणदीप गुलेरिया

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद तमाम एक्सपर्ट्स तीसरी लहर में बड़ी संख्या में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका प्रकट करने लगे थे। हालांकि, केंद्र सरकार ने इन आशंकाओं पर विराम लगा दिया है। सरकार ने कहा है कि ऐसे कोई संकेत नहीं हैं, जिससे पता चले कि संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में सरकार ने बताया, ”अभी तक कोई संकेत नहीं है कि कोविड-19 की तीसरी लहर में बच्चे गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।” एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बच्चों पर तीसरी लहर को लेकर कहा कि कहा जा रहा है कि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चे संक्रमित होंगे, लेकिन पेडरिट्रिक्स एसोसिएशन का कहना है कि यह तथ्यों के आधार पर नहीं है। हो सकता है कि बच्चों पर इसका प्रभाव नहीं पड़े, इसलिए लोगों को डरने की जरूरत नहीं है।

मालूम हो कि अप्रैल से शुरू हुई कोरोना की दूसरी लहर में लाखों लोग संक्रमित हुए हैं। इसके बाद से ही एक्सपर्ट्स ने कुछ महीनों के बाद तीसरी लहर आने का दावा किया है, जिसमें बच्चों के ज्यादा संक्रमित होने का अंदेशा जताया गया है। इस वजह से सरकारों ने कड़े कदम उठाने भी शुरू कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश, झारखंड आदि राज्यों के अस्पतालों में बच्चों के लिए अलग से आईसीयू बनाने का निर्देश दिया गया है।

इससे पहले, केंद्र सरकार ने शनिवार को कहा था कि बच्चे कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन उन पर इसका प्रभाव न्यूनतम है। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने बताया था कि यदि बच्चे कोविड से प्रभावित होते हैं, तो या तो उनमें कोई लक्षण नहीं होंगे या कम से कम लक्षण होंगे। उन्हें आम तौर पर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है।

तीसरी लहर में बच्चों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने के पीछे एक्सपर्ट्स का कहना है कि चूंकि अभी 18 साल से ऊपर की उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है और आने वाले कुछ महीनों में यह ज्यादातर लोगों को लग चुकी है। इस वजह से बच्चों के ज्यादा प्रभावी होने के चांसेस हैं। वहीं, बच्चों का इम्युनिटी सिस्टम भी कमजोर होने की वजह से उनके तीसरी लहर में अधिक संक्रमित होने की आशंका है।

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