महाराष्ट्र सदन में उद्धव ठाकरे सरकार ने किया फ्लोर टेस्ट पास, समर्थन में पड़े 169 वोट, बीजेपी के सभी विधायकों ने किया सदन से वॉकआउट
मुंबई। उद्धव ठाकरे नीत महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार ने राज्य विधानसभा में शनिवार को बहुमत साबित कर दिया। सरकार के पक्ष में 169 विधायकों ने वोट दिया। जबकि प्रस्ताव के खिलाफ किसी ने वोट नहीं किया। क्योंकि 288 सदस्यीय विधानसभा में विधायकों की गिनती शुरू होने से पहले ही भाजपा के सभी 105 विधायक वॉकआउट कर गए।
इस दौरान चार विधायक तटस्थ रहे जिनमें एआईएमआईएम से दो, माकपा के एक और उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे नीत मनसे का एक विधायक शामिल हैं। कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने शिवसेना नेता और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में विश्वास मत का अनुमोदन किया था। विश्वास मत प्रस्ताव के तहत सबसे पहले सदस्यों की गिनती हुई और उनसे हां या ना में जवाब मांगा गया। इस दौरान भाजपा के सदस्य हंगामा करते रहे, उनका कहना था कि ये सब नियमों के खिलाफ हो रहा है। इसके बाद भाजपा के सभी 105 सदस्य सदन से वॉकआउट कर गए। भाजपा ने कहा कि वह इस मुद्दे को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के समक्ष उठाएगी।
जय महाराष्ट्र! pic.twitter.com/hyx58LegWc
— ShivSena – शिवसेना (@ShivSena) November 30, 2019
इससे पहले शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने अपने विधायकों को विधानसभा में उपस्थित होने का व्हिप जारी किया था। व्हिप का मतलब ये है कि पार्टी के सदस्यों को पार्टी के आदेश का पालन करना है। अगर वो ऐसा नहीं करते तो दल-बदल कानून के तहत अयोग्य करार दिए जा सकते हैं। गौरतलब है कि 21 अक्तूबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा 105 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। वहीं, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी।
महाराष्ट्र राज्याचे मुख्यमंत्री मा. श्री. उद्धव साहेब ठाकरे यांच्या महाराष्ट्र विकास आघाडीच्या सरकारवरील विश्वास दर्शक ठरावाच्या बाजूने मतदान करणाऱ्या शिवसेना, @NCPspeaks , @INCMaharashtra आणि मित्रपक्षांच्या १६९ आमदारांचे मनःपूर्वक आभार!
— Office of Uddhav Thackeray (@OfficeofUT) November 30, 2019
सदन से बाहर आकर विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों से कहा कि सदन में अपनाई गई प्रक्रिया असंवैधानिक है। फडणवीस ने पार्टी के विधायक कालिदास कोलाम्बकर को हटा कर एनसीपी के दिलीप वाल्से पाटिल को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने सदन में कहा कि इस तरह का कार्य भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है क्योंकि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सदन में विश्वास मत हारने को लेकर डरी हुई थी। भाजपा विधायकों के वाकआउट करने के बाद फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा कि सदन में कामकाज किया जाना संविधान का उल्लंघन है। सत्र खुद नियमों के मुताबिक नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि सत्र के अंतिम दिन राष्ट्रगान हुआ, इसका मतलब है कि यह (विधानसभा) अनिश्चितकाल के लिये स्थगित हो गई। फडणवीस ने कहा कि नया सत्र शुरू करने के लिये राज्यपाल के जरिये एक समन जारी कराने की जरूरत थी।
It’s a procedure that House needs to elect the Speaker first and then only the trust motion can be placed for the consideration of the House as it was done in 2014. But this government also skipped Speaker’s election.#MahaMurderOfDemocracy pic.twitter.com/iesKSKM7os
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 30, 2019
फडणवीस यह भी दावा किया कि ठाकरे और छह मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह नियमों के अनुरूप नहीं हुआ। फडणवीस ने कहा कि किसी ने बालासाहेब ठाकरे का नाम लिया, किसी ने सोनिया गांधी जी और पवार साहेब का नाम लिया। शपथ निर्दिष्ट प्रारूप के अनुरूप नहीं ली गई। सदन में शक्ति परीक्षण प्रोटेम स्पीकर की निगरानी में कराए जाने पर उन्होंने कहा कि यह इसलिए कराया गया कि सरकार एक नियमित स्पीकर के तहत विश्वासमत हारने को लेकर भयभीत थी। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि हम वाकआउट कर गये। हम राज्यपाल को पत्र लिख कर यह कहने जा रहे हैं कि संविधान के अनुरूप कार्य नहीं किया गया।
On 27th November, when Assembly session was held, it started with ‘Vande Mataram’ & got concluded with National Anthem. It means that session is adjourned sine die. #MahaMurderOfDemocracy pic.twitter.com/wWpkvSzQwG
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 30, 2019
बहुमत परीक्षण से पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सदन में पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से गले मिलने के लिए विपक्ष के नेता की कुर्सी पर पहुंचे। इसके बाद उद्धव ने फडणवीस को गले लगाया। 59 वर्षीय उद्धव पहली बार सदन में आए थे। उनके पीछे उनके बेटे आदित्य और शिवसेना के अन्य विधायक बैठे हुए थे। वे सभी भगवा पगड़ी पहने हुए थे।
#MahaMurderOfDemocracy !
Registered my strong protest in the Legislative Assembly against the illegal and unconstitutional way for calling this Maharashtra Assembly Session. pic.twitter.com/I7GTOnCxZt— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 30, 2019
महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने शनिवार को कहा कि उद्धव ठाकरे के मंत्रालय का शपथ ग्रहण गैरकानूनी है क्योंकि यह निर्धारित प्रारूप के अनुसार नहीं हुआ। पाटिल ने विधान भवन में पत्रकारों से कहा कि मंत्रियों ने शपथ लेते समय अपने नेताओं और अन्य लोगों के नाम लिए जो प्रोटोकॉल के अनुरूप नहीं है। वहीं एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने यह कहते हुए पाटिल के दावों को खारिज कर दिया कि कई भाजपा सांसदों ने ऐसा ही किया था। उन्होंने कहा कि अगर पाटिल के मापदंड का इस्तेमाल किया जाए तो आधी लोकसभा खाली हो जाएगी।