नेशनल कैपिटल टेरिटेरी ऑफ दिल्ली बिल राज्यसभा से भी पास, अवैध कॉलोनियां होंगी नियमित 40 लाख लोगों को मिलेगा लाभ
नई दिल्ली। आज राज्यसभा में दिल्ली की 1700 से अधिक अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का विधेयक पेश किया गया। ये विधेयक आवासन एवं शहरी विकास राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी पेश किया। इस विधेयक को लोकसभा पिछले सप्ताह मंज़ूरी दे चुकी है। राज्यसभा से भी इसे मंज़ूरी मिलने के बाद इन कालोनियों में रहने वाले लगभग 40 लाख से अधिक लोगों को संपत्ति के स्वामित्व का अधिकार मिल गया।
.@narendramodi सरकार ने 1733 से ज्यादा कॉलोनी, 7 लाख से ज्यादा घर, 40 लाख से ज्यादा लोगो को फायदा पहुंचाया। किसी ने 15 साल लटकाया, किसी ने 5 साल भटकाया.#ModiHaiTohMumkinHai@BJP4Delhi@BJP4India pic.twitter.com/cMFIg5cpag
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) December 4, 2019
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए आवासन एवं शहरी विकास राज्मंत्री (स्वतंत्र प्रभाव) हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट किया कि इन कालोनियों में संपत्ति के स्वामित्व के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना की तर्ज पर महिला या उसके पति अथवा परिवार के अन्य पुरुष सदस्य के नाम से संयुक्त रूप से संपत्ति का पंजीकरण किया जायेगा। उन्होंने कहा कि विधेयक के तहत संपत्ति के पंजीकरण के लिए जो विकल्प मुहैया कराये गये हैं, उनमें परिवार की महिला सदस्य या महिला के साथ परिवार के किसी पुरुष सदस्य के नाम पर संयुक्त रुप से पंजीकरण करने के विकल्प शामिल हैं।उन्होंने विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों द्वारा इन कालोनियों को ‘अनधिकृत’ कहे जाने पर दर्ज करायी गयी आपत्ति के जवाब में कहा कि यह नाम उन्होंने नहीं बल्कि कई दशक से प्रयोग में लाया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘वैसे भी इनके नियमित होते ही इनके माथे से ‘अनधिकृत’ शब्द का धब्बा स्वत: हट जायेगा।’’ पुरी ने कहा कि इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद कानून के रुप में इसके प्रवर्तन में आने पर इन कालोनियों में संपत्ति के स्वामित्व का अधिकार मिल जलायेगा और इसके साथ ही ये कालोनियां स्वत: नियमित भी जायेंगी। चर्चा के दौरान कांग्रेस के एल हनुमनथैया द्वारा दिल्ली के बाद देश के अन्य शहरों में मौजूद अनधिकृत कालोनियों और झुग्गी बस्तियों की समस्या को दूर करने की मांग पर पुरी ने कहा कि दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों के लिये निकाला गया फार्मूला देश के अन्य भागों में भी इस्तेमाल में लाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल इन कालोनियों को नियमित करने के लिये तैयार की गयी पीएम उदय योजना को जुमला बताकर सिर्फ 100 लोगों को स्वामित्व अधिकार देने की फर्जी खबरें सोशल मीडिया में फैला रहे हैं। पुरी ने कहा कि इस योजना के तहत सभी 1731 कालोनियों के लगभग 9 लाख परिवारों के 40 लाख से अधिक लोगों को मालिकाना हक मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत सभी 1731 कालोनियों के उपग्रह प्रणाली से नक्शे बनाकर सीमांकन किया जा रहा है।
दिल्ली की बहनों को हार्दिक बधाई!
हमारी बहनों के सशक्तिकरण की ओर एक सकारात्मक क़दम।
PMAY-शहरी की तर्ज़ पे दिल्ली की अनाधिकृत कॉलिनियों के घरों की रजिस्ट्री भी या तो महिलाओं के नाम पे होगी या उसमें उनकी सहभागिता होगी। pic.twitter.com/CMSkSe4qDe
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) December 4, 2019
इनमें 1130 कालोनियों के नक्शे वेबसाइट पर अपलोड कर दिये गये। सभी कालोनियों के नक्शे अपलोड होने के बाद स्थानीय आरडब्ल्यूए को 15 दिन के भीतर सुझाव और आपत्तियां देने के लिये समय दिया जायेगा। इसके समानांतर एक नयी वेबसाइट 16 दिसंबर को शुरु की जायेगी जिसके माध्यम से इन कालोनियों के लोग संपत्ति के पंजीकरण के लिये आवेदन करा सकेंगे। उन्होंने कहा कि पंजीकरण के लिये न्यूनतम शुल्क निर्धारित किया गया है। पुरी ने स्पष्ट किया कि इन कालोनियों को नियमित करने के लिये हाल ही में जारी की गयी अधिसूचना के मुताबिक वन क्षेत्र, पुरातत्व विभाग, यमुना के बहाव क्षेत्र और बिजली के हाईटेंशन तारों के दायरे वाली ‘ओ जोन’ की कालोनियों को नियमित होने वाली 1731 कालोनियों से अलग रखा गया है। उन्होंने कि ये कालोनियां संसद से पारित किये जा रहे विधेयक का हिस्सा नहीं है। मंत्री ने कहा कि इन कालोनियों को कानूनी तकनीकी बाधाओं से मुक्त कर इन्हें नियमित करने पर बाद में विचार किया जायेगा। मंत्रालय इन कालोनियों के लिये भी पारदर्शी व्यवस्था बनायेगा। उच्च सदन में आम आदमी पार्टी (AAP) सहित अधिकतर विपक्षी दलों ने सरकार पर राजनीतिक लाभ के मकसद से यह विधेयक लाये जाने का आरोप लगाया किंतु सभी दलों ने विधेयक के प्रावधानों का समर्थन किया।विधेयक के पीछे राजनीतिक मंशा के आरोपों को खारिज करते हुये पुरी ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा पिछले पांच साल में इन कालोनियों को नियमित करने के लिये दो बार दो दो साल का समय मांगे जाने के बाद मंत्रालय ने इन्हें नियमित करने का फार्मूला तलाशने का काम अपने हाथ में लिया। उन्होंने कहा कि इस पर पिछले सात..आठ महीने से काम चल रहा था और यह कार्य इस साल अप्रैल-मई में हुये लोकसभा चुनाव से पहले से जारी है। पुरी ने कहा, ‘‘ हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि संपत्ति के मालिकाना हक देने के लिये संपत्ति के पंजीकरण का काम दिल्ली सरकार को ही करना है । ’’
We were always committed to bringing this bill so that decades of wrongdoing could be corrected & more than 40 lakh sisters & brothers living in these colonies could lead a better life in well planned urban spaces with modern facilities & amenities in the capital of New India. pic.twitter.com/IjP5YAqzE2
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) December 4, 2019
श्री पुरी ने कहा कि एक अदालती मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक आदेश दिया जिसमें ऐसी कॉलोनियों में वसीयत, जनरल पावर आफ अटर्नी सहित पांच दस्तावेजों को मान्यता देने से मना कर दिया, ऐसी स्थिति में दिल्ली के 40 लाख लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने यह पहल की है। मंत्री के जवाब के बाद उच्च सदन ने कुछ संशोधनों के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए विधेयक को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा, ‘‘ जो काम 11 साल में नहीं हुआ, हम उसे 30 दिन में पूरा कर देंगे ।’’उन्होंने कहा कि इसके बाद स्वामित्व अधिकारों से वंचित लोग इस संबंध में बनाये गये एक अन्य पोर्टल पर रजिस्ट्री के लिए आवेदन कर सकते हैं।इस विधेयक में इन अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें पॉवर ऑफ अटॉर्नी, विक्रय करार, वसीयत, कब्जा पत्र और अन्य ऐसे दस्तावेजों के आधार पर मालिकाना हक देने की बात कही गई है जो ऐसी संपत्तियों के लिए खरीद का प्रमाण हैं। इसके साथ ही ऐसी कॉलोनियों के विकास, वहां मौजूद अवसंरचना और जन सुविधाओं को बेहतर बनाने का प्रावधान भी विधेयक में किया गया है । इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद, पंजीकरण तथा स्टैंप ड्यूटी में दी जाने वाली रियायत से दिल्ली की 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 40 लाख से ज्यादा लोग लाभान्वित होंगे।